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About The Temple

नागों के राजा श्री नागवासुकी जी का अति प्राचीन मंदिर जो की प्रयागराज में स्थित है।

समुद्र मंथन में डोरी (रस्सी) की भूमिका निभाए थे उसके पश्चात यहाँ विश्राम किए अपनी सेनाओं के साथ, शरीर में थकान एवं घाव ठीक हो जाने के बाद ब्रह्मा जी के मानस पुत्रों के द्वारा भगवान वासुकी जी को स्थापित किया गया है। यहां पर कभी भी सर्प किसी को नहीं काटता है। यहां पर पूजा कर लेने से घर में कभी सर्प नही निकलता एवं मुख्य पूजन कर लेने से काल सर्प (राहु एवं केतु) का पूर्णतः समाप्त हो जाता है।

माना जाता है की भगवान वासुकी जी का मुख में राहु एवं पूछ में केतु विराजमान है इसलिए उनका पूजन करने मात्र से दोष का पूर्णतः शमन हो जाता है।

Our Sacred History

Morning

Darshan: 6:00 AM - 12:00 PM Abhishekam: 7:00 AM
Aarti: 8:00 AM

Afternoon

Temple Closed: 12:00 PM - 4:00 PM (Deities Rest)

Evening

Darshan: 4:00 PM - 9:00 PM
Aarti: 7:00 PM
Satsang: 8:00 AM